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Showing posts from 2018

मृत्यु

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मृत्यु : जीवन का एक कटु सत्य जिससे आज नहीं तो कल संसार के हार व्यक्ति को परिचित होना पड़ता है । जीवन में में एक व्यक्ति जो कुछ भी अर्जित करता है उसे जब यहीं छोड़ कर जाना पड़ता है और उसके उपरान्त उसे अपने कर्मानुसार मरणोपरांत फल नसीब होता है । ऐसे सांसारिक सुख के लोभ व आकर्षण में अनेकों व्यक्ति कुक्रियाओं में लिप्त हो जाते हैं और जीवन में सुकृति का मार्ग त्याग कर तताकथित सामाजिक ताने बाने में अपने आप को सुसज्जित करने के प्रयास में लग जाते हैं मैं अपनी इस रचना के माध्यम से उस वर्ग को जीवन का मेरे विचार में जो अर्थ और उद्देश्य होता है उसे समझाने का प्रयत्न करने जा रहा हूँ । आशा करता हूँ की मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये। मृत्यु चर्चित फिर भी अपरिचित जीवन की सांझ शरीर का अंत सुकृति रहती संसार के संग । रिश्तों का बिलखना कुछ क्षण की बात जीवन के ज्वलंत दिन की आयी अनंत रात । मित्रों की याद वर्षों का साथ पलक झपकते ही हो जाता है     सबकुछ बर्बाद । संसार के इस समर में मौत निश्चित होती है और उसूलों पर चलने वालों के जाने पर ही धर...

सफलता

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वर्तमानकालीन संसार में एक धारा के लोगों के अनुसार सफलता के शिखर पर आसीन होना एक ऐसी उपलब्धि बन चुकी है जिसका सरोकार कर्म से अतिरिक्त हर क्रत्रिम और स्थायी वस्तु से बन चूका है । परिणामस्वरूप वे उपरोक्त दिए गए आधार पर ही संसार के समस्त मनुष्यों का आंकलन करने में लग जाते हैं और उस सभी की मानसिक व्यथा का कारण भी बन जाते हैं । मैं भी उसी व्यथित समूह से निकला एक मानस हूँ जो अपने विचार आप सभी के समक्ष इस कविता के माध्यम से रखनेका प्रयास कर रहा हूँ । आशा करता हूँ कि मेरी यह कविता आप सभी को पसंद आये । सफलता की खोज में , ख्याति की ओज में , राह – राह भटकता हूँ , पर यह नहीं समझता हूँ सफलता विजय है,  विराम नहीं, और इसको अर्जित करना इतना भी आसान नहीं  । ढूँढ़ते हैं लोग इसे शरीर की चाल में सुंदर काया में , मनमोहक बाल में , कपड़ों की बनावट में , साज सजावट में , धन वैभव के रौब में , चापलूसों की फ़ौज में , शर्ट की सिलाई में, पैन्ट की ऊँचाई में, अपनी झूठी शान में , दूजों के अपमान में, शरीर के आकार में ,  और   उसके चतुर्दिक प्रचार में। दिन ब दिन...

किये की कद्र ।

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बीते चार वर्षों से मैं अपनी कविताओं, लेखों व छंदों के माध्यम अपने पाठकों से परिचित होता आया हूँ । आज कव्यस्त्रोत में एक नया आयाम जुड़ा है । इस वैचारिक मंच पर हमारे बीच एक युवा कवियत्री जी अपने लेखन का पदार्पण करने जा रही हैं  । मानसिक एकांकीपन व व्यथा का यथासंभव व्याख्यान करती यह कविता आप सभी के सामने प्रस्तुत है  । आशा करते हैं यह रचना आप सभी को पसंद आये  । कभी कभी दिल कचोटता है , दर्द से भर जाता है । दर्द आंसुओं में तब्दील हो जाते हैं, आंसू आँखों से बह जाते हैं । हम तो फिर भी उन्ही के लिए करते हैं , जो हमारे किये की कद्र नहीं करते हैं । अब तो मन इतना सहम चूका है , कि अच्छाई में भी बुराई खोज लेता है । अब तो प्रशंसा भी सच्ची नहीं लगती है , जो वो हममे इतने नुक्स निकाल चुके हैं । हम तो फिर भी उन्ही के लिए करते हैं, जो हमारे किये की कद्र नहीं करते हैं । रंगीन दिन ढल जाते हैं , खूबसूरत शामें बीत जाती हैं । रह जाती तो सिर्फ बुरी यादे हैं, उनकी जो वादे कभी निभाए नहीं जाते हैं । हम तो फिर भी उन्ही के लिए करते हैं, जो हमारे कि...

एक शिक्षक वो सौगात है ।

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कुछ सप्ताह पूर्व हमारे संस्थान में शिक्षक दिवस का आयोजन हुआ  । सभी शिक्षकों ने आत्मोत्साह से उस आयोजन में भाग लिया  ।कई लोक प्रस्तुतियाँ भी देखने को मिली पर जो दृश्य मुझे मुग्ध कर गया वो था उन छात्रों द्वारा हमारे शिक्षकों का अवागमन जो किसी अन्य दिवस पर उनकी भर्त्सना करते रहते थे  । ऐसी स्थिति से डॉ बातें सामने आती हैं या तो उन छात्रों को एक शिक्षक का अर्थ ही नहीं मालूम है और अगर मालूम भी है तो वो शायद निरंतर परिवर्तित होता रहता है  । मेरी यह रचना उन छात्रों के लिए ही है जो शायद वर्तमानकालीन भारत में शिक्षक एक विद्यार्थी के जीवन में क्या महत्व रखता है इससे परिचित नहीं है  । मैं आशा करता हूँ कि मेरी यह रचना भी आप सभी को पसंद आये  । एक शिक्षक वो सौगात है , जो विश्व में यूं विख्यात है , मानव का जीवन जिसके बिन, बिन पायों की खाट है, एक शिक्षक वो सौगात है, जो विश्व में यूं विख्यात है।   बचपन में वो सहारा है, कभी पिता की डांट, तो कभी ममता की धारा है, ऐसे बचपन की अनुभूति होना, बड़े गौरव की बात है, एक शिक्षक वो सौगात है, जो विश...

जाते-जाते फिर एक बार.....

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आज मुझे एक कुशल व्यक्ति बनाने में जिन व्यक्तियों का अभिन्न योगदान रहा है उनमें से कुछ अपने जीवन में नयी आशाओं व उमंगों की खोज करने के लिए अग्रसर होने जा रहे हैं। उनके साथ मेरे अनुभव का संक्षिप्त व्याख्यान करती एक कविता। आशा करता हूँ कि मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये। जाते जाते फिर एक बार उन यादों को दोहराते हैं, और विदाई की इस बेला में , व्यथित हृदय को बहलाते हैं। वो अक्टूबर की सुर्ख दुपहरी थी, कुछ सीखने की इच्छा गहरी थी, आपके पास ज्ञान का भंडार था, और हमने उसे पाने के लिए उत्साह अपार था। वो साप्ताहिक PSET भी बड़ा याद आता है, जिसे हल करने में आज भी पूरा दिन निकल जाता है, आप पढ़ाते गए, हम पढ़ते गए, एक सुनहरे भविष्य की तरफ इसी तरह कदम दर कदम बढ़ते गए। फिर एक दिन हम भी आपमें से एक हो गये, अचानक से ऐसे परम ज्ञानियों के समूह को देखकर अचंभित से रह गए। फिर वक़्त आया दुबारा इतिहास दोहराने का, जिस LETS CODE ने हमें बनाया था उसे स्वयं आयोजित करवाने का। आयोजन हुआ, सीखने वाले भी आये, पर जो जादू आप सब की मौजूदगी में था, उसे हम दोह...

प्रेम का संचार!

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प्रेम का संचार   अपनी हर कविता में मैं अपने प्रिय पाठकों को कविता की पृष्ठभूमि से परिचित कराता हूँ लेकिन इस कविता में इसकी आवश्यकता मुझे नहीं महसूस हुई क्योंकि मेरे विचार में ऐसी पवित्र भावनाओं का व्याख्यान करने के लिए सिर्फ शब्द ही काफी हैं । आशा करता हूँ मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये। ठोकरों से संभल कर, यौवन के पहर पर, प्रेम की एक आस जगी, और जीवन में कुछ रफ़्तार लगी, यह एक खुशनुमा सा विचार है, हाँ , यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है । दीदार सुख कि अनुभूति है, संवाद दर्द की बूटी है, उनका न रहना रिक्तता का अहसास है, कुछ तो कमी थी वहां भी जहाँ सारा संसार मेरे पास है, मासूमियत भरा उनका व्यवहार है, हाँ , यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है । सारे जग की कलम-कला से, नदियों से सिंचित स्याही से, धरा-धूरी का पृष्ठ बनाकर, लिखने को सारा संसार बुलाकर, तब भी उसका गुणगान नहीं कर पाओगे, जिसकी व्याख्या इतनी अपार है, हाँ, यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है ।   अभी प्रेम हमारा अधूरा है , सिर्फ एक...

मेरे सपनों का भारत

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भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल कि स्मृति में ३१ अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिअस मनाया जाता है । भारत को एक बना कर रखने वाले ऐसे ईमानदार व्यक्ति को मेरा सादर प्रणाम । ‘मेरे सपनों का भारत’। सपने सब देखते हैं और एक स्वर्णिम भारत का सपना कौन नहीं देखता । पर मेरा जो अनुभव रहा है उसमें मेरी कई ऐसे लोगों से हेनत हुई है जो अपने पंथ या समुदाय को लेकर आगे अधना चाहते है । उनकी नज़र में स्वर्णिम भारत कि रचना तभी सम्हाव है सब उनके समुदाय के लोग सर्वमत में आ जाएं। मैं ऐसी सोच का खंडन करता हूँ । अगर ऐसे हरत कि रचना हो गई तो हम गर्त में चले जायेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसे आवश्यक मुद्दों की जगह जाति, धर्म और संप्रदाय ले लेंगे । इससे होगा या ? हमर भविष्य शाश्वत अंधकार में चला जायेगा । अगर आप अपने सपनों के भारत में किसी एक वर्ग के विलुप्त होने की कामना कर रहे हैं तो यह आपकी महत्वाकांक्षा है, स्वर्णिम भारत का स्वप्न नहीं । बहरहाल मेरे सपनों क्ले भारत में ‘सर्व्पंथ समभाव’ सिर्फ एक चुनावी जुमला बनकर नहीं रह जायेगा, इसका धरातल पर क्रियान्यवन भी किया जायेगा । सही समुदाय के लोग...

युवाओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान

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स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर पूरे राष्ट्र में बड़े ही हर्षोल्लास से युवा दिवस मनाया जाता है । एक लघु जीवन यापन के उपरांत भी स्वामी जी आज हमारे , आपके , हम सबके आदर्श बने हुए हैं । ऐसी महनीय छवि वाले व्यक्ति को मेरा सादर प्रणाम । वर्तमानकाल में सामाजिक रचना युवाओं को प्राथमिकता देकर ही कि जाती है । आज भारत में ६५ फीसदी जनसँख्या कि उम्र ३५ वर्ष या उससे कम है । यह तथ्य इस कथन को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि भारत एक युवा देश है । युवाओं के लिए भारत में मौकों कि कमी नहीं है । आज भी भारत में आवश्यक पदों पर नियुक्ति युवाओं की ही होती है । इतनी पक्षधर प्रणाली होने के उपरान्त भी अधिकतर पद रिक्त रह जाते हैं ।  इसका कारण क्या हो सकता है ?  इसका कारण है कुशल कर्मी न मिल पाना । हम गिनती में भले ही असंख्य हों पर जब बात कुशलता कि आती है तब हम नगण्य रह जाते हैं । चाहे आप किसी भी क्षेत्र में चले जायें , अधिकतर युवा आपको आवश्यक मूलभूत जानकारी से भी अछूते मिलेंगे। यह तो हो गयी समस्या, अब इसके निवारण से मैं आप सभी को परिचित कराता हूँ । विवेकानंद जी ने कहा था "उठ...

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कुछ शब्द मेरे उन जन मन को .....।

एक पीर उठी जब नभ से तब...