शब्दाभ्यास
३० दिसंबर २०१९
अर्थ
उन्नति | प्रगति | वृद्धि
वाक्य उपयोग
- बीते दो वर्षों में भारत का उत्कर्ष विश्व के लिए दर्शनीय रहा है ।
- हमारे सामजिक घेरे में एक न एक व्यक्ति तो ऐसा अवश्य रहता है जिसकी उत्कृष्ट रफ्तार का सभी लोहा मानते हैं।
काव्यांश
"इन सुखद अनुभूतियों के बाद अब विदाई का समय आया,
जो अपने साथ कुछ अनुराग के पल और विषाद के अनुभव भी लाया।
पर इन उदासीन पलों के बीच एक उत्कर्ष सा भाव है,
क्योंकि यह वैराग्य की स्थिति नहीं विकास का संभाव है। "
जो अपने साथ कुछ अनुराग के पल और विषाद के अनुभव भी लाया।
पर इन उदासीन पलों के बीच एक उत्कर्ष सा भाव है,
क्योंकि यह वैराग्य की स्थिति नहीं विकास का संभाव है। "
(मेरी स्वरचित कविता 'जाते जाते फिर एक बार ' के कुछ अंश )
२९ दिसंबर २०१९
अर्थ
नीचे उतरना | जन्मदिन
वाक्य उपयोग
- विमान के अवतरण के समय भूमी मंडल में कंपन का आभास होता है ।
- आज अपना जन्मदिवस मनाने वाले सभी पाठकों को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
काव्यांश
"स्मरण करें उस शक्ति को ,
अपनी निस्वार्थ भक्ति को ,
वैभव को ,विध्वंस को,
जीवन के हरेक अंश को,
मरण को, अवतरण को,
उसकी स्नेहिल सी शरण को।"
(मेरे स्वरचित विचारों से निर्मित कुछ पंक्तियाँ)
२८ दिसंबर २०१९
अर्थ
अलग | विभाजित
वाक्य उपयोग
- समाज के शिखर तक वही लोग पहुँचते हैं जिनके अंदर सांसारिक विकर्षण से विभक्त रहने का साहस होता है ।
- तीन तलाक कानून के विषय में भारत के अधिकतर बुद्धिजीवियों का मत विभक्त था ।
काव्यांश
"करने वाले तो कर्मठ थे,
जिन्हें शून्य से शिखर तक जाना था,
विकर्षण से विभक्त खड़े,
बस दुनिया में नाम कमाना था ।"
(मेरी स्वरचित रचना कर्म और कथन के अंश )
२७ दिसंबर २०१९
अर्थ
रोना | विलाप | निराशा के क्षण
वाक्य उपयोग
- परीक्षा के परिणाम के बाद दिखने वाले आकस्मिक रुदन से प्रत्येक छात्र को क्षति पहुंचती है ।
- गाँधी जयंती पर कुछ नेताओं का स्मारक के निकट रुदन एक नाटकीय क्रिया लग रही थी ।
काव्यांश
"हास्य रुदन में , तूफानों में ,
अमर असंख्यक , बलिदानों में ,
उन्नत मस्तक , उभरा सीना ,
बाधाओं को दलना होगा ,
कदम मिलकर चलना होगा ,
कदम मिलकर चलना होगा ।"
(वाजपेयी जी की कविता 'कदम मिलकर चलना होगा' के अंश )
२६ दिसंबर २०१९
अर्थ
शोर | उथल-पुथल | हल्ला
वाक्य उपयोग
- नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में युवाओं ने पूरे देश में कोलाहल मचा दिया है ।
- पाश्चात्य सभ्यता के आवेश में आने के उपरान्त भारतीय लोग भी किसी आयोजन में कोलाहल को सकारात्मकता का सूचक मानने लग गए हैं ।
काव्यांश
"फिर पहुंचा जब मैं अस्पताल,
थी रुदन की जहाँ ऐसी फुहार,
उस कोलाहल के बीच खड़ा ,
मचता जहाँ हर क्षण बवाल।"
(मेरी स्वरचित रचना एक पीर उठी जब नभ से तब के अंश )
२४ दिसंबर २०१९
अर्थ
ख़ास | उत्तम | असाधारण
वाक्य उपयोग
- हमारे संस्थान में विशिष्ट रूप से शिक्षा में पारंगत अध्यापकों को ही बच्चों को पढ़ाने का अवसर मिलता है।
- जब किसी साधारण व्यक्ति को भी विशिष्ट होने का आभास हो जाये तो समझ जाएँ कि आपने जीवन में कुछ रोचक किया है ।
काव्यांश
"एक विशिष्ट व्यक्ति की वर्षगाँठ पर ,
मैं इन शब्दों को संजोता हूँ ,
और काव्य के महीन धागे में,
बड़ी बारीकी से पिरोता हूँ ।"
(मेरे विचारों से पनपे कुछ छंदों का अंश )
२३ दिसंबर २०१९
अर्थ
अचानक | अकस्मात
वाक्य उपयोग
- अपना परिणाम देखने के बाद राहुल सहसा ख़ुशी के कारण उछलने लगा ।
- उनके सौम्य आचरण के कारण दिनेश के चरित्र में सहसा परिवर्तन आ गया ।
काव्यांश
वो चला आँधी, कि नभ में ,
छा गया सहसा अँधेरा ,
रात के उत्पात भय से,
भीत जन जन , भीत कण कण ,
लग रहा था अब न होगा,
इस निशा का फिर सवेरा ।
(हरिवंश राय बच्चन जी की कविता निर्माण के अंश)
१९ दिसंबर २०१९
अर्थ
चक्कर लगाना | परिक्रमा
वाक्य उपयोग
- इश्वर के सिद्ध स्थल की प्रदक्षिणा हिंदु धर्म में शुभ मानी जाती है ।
- कस्तूरी की खोज में मर्ग समग्र वन की प्रदक्षिणा करता है परन्तु खोज नहीं पाता क्योंकि वः स्वयं उसके कंठ में उपस्थित होता है ।
काव्यांश
"कल की तरह आज भी सूरज निकलेगा ,
होगी प्रदक्षिणा नभ के पथ पर प्रभामयी
जो भाग्यवान हैं उनकी आँखें सींचेंगी
उनकी आभा में शीतल किरणें मृत्युंजयी "
(भवानी प्रसाद मिश्र जी की कविता उदय का क्षण के अंश )
१८ दिसंबर २०१९
अर्थ
समाज | संगत | समक्ष उपस्थित समूह
वाक्य उपयोग
- वर्तमान कालीन भारत में समष्टि के अत्याधिक हस्तक्षेप के कारण अधिकतर युवा वर्ग भेड़ चाल में लगा हुआ है ।
- उगते सूरज को समष्टि का प्रत्येक वर्ग का सम्मान मिलता है पर विषम परिस्थितियों में वो भी विलुप हो जाता है ।
काव्यांश
" मैं तो समाज की थाती हूँ ,
मैं तो समाज का हूँ सेवक ,
मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का ,
कर सकता बलिदान अभय "
(वाजपेयी जी की रचना परिचय के अंश )
१७ दिसंबर २०१९
अर्थ
लोभ | लालच |आकांक्षा
वाक्य उपयोग
- धन तृष्णा के कारण एक साधारण मानव अनैतिक मार्ग का चयन करने से पूर्व क्षण भर भी विचार नहीं करता ।
- रेगिस्तान में अधिकतर सैलानी मृगतृष्णा के कारण दिशा भ्रमित हो जाते हैं ।
" माया मुई न मन मुआ ,
मरी मरी गया शरीर ,
आशा तृष्णा भी न मुई ,
यह कह गया कबीर ।"
(कबीर अमृतवाणी से लिए गए कुछ अंश )
१६ दिसंबर २०१९
अर्थ
निरंतर उत्पन्न होने वाली बाधाएँ, समस्याएं या कोई अन्य सत्व
वाक्य उपयोग
- एक सफल मनुष्य के जीवन में आवर्तों का सहजता पूर्वक हल निकाल पाने के कौशल का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।
- भारत के अधिकतर युवा अपने शैक्षणिक आवर्त से द्वंद कर पाने में असक्षम सिद्ध होते हैं ।
काव्यांश
" पथ के आवर्तों से थक के ,
जो बैठ गया आधे पथ पे,
उस नर को राह दिखाना ही,
मेरा सदैव का दृढ़ निश्चय... "
(भारत रत्न पं० अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता परिचय के अंश )
११ दिसंबर २०१९
अर्थ
अप्रत्यक्ष | अदृश्य | अस्पर्श्य | अमूर्त
वाक्य उपयोग
- इश्वर के अगोचर कृत्य ही संसार की अद्भुत रचना का कारण हैं ।
- एकाग्र ह्रदय से एक साधारण मनुष्य अगोचर कार्य भी पूर्ण कर सकता है ।
काव्यांश
"सफलता अगोचर है ,अविरल नहीं,
इसको प्राप्त करना, इतना भी सरल नहीं,
सफलता व्याकुलता का परिणाम है,
परिश्रम का दूजा नाम है ,
मानव के भीतर की चेतना है ,
जिसे एक समृद्ध संसार देखना है । "
(सुयश शुक्ला की रचना सफलता के अंश )
१० दिसंबर २०१९
अर्थ
इर्ष्या | द्वेष | बैरवाक्य उपयोग
- भारत के अधिकतर युवाओं के आत्म विध्वंस का कारण स्पर्धा और वैमनस्य के बीच के अर्थ को न समझ पाना है ।
- हमारा पड़ोसी देश मात्र वैमनस्य के कारण गैर राजनैतिक आपसी संबंधों को आघात पहुँचाता रहता है ।
काव्यांश
"यह धरा हमारी, है देश हमारा,
उस सोच का है तत्त्व कहाँ,
जिन विचारों में निरंतर,
वैमनस्य ही बहता हो,
जो शोषण और सिर्फ देश निकाला
अपने मुख से कहता हो ?"
(स्वरचित विचारों का पंक्तिबद्ध रूप)

९ दिसंबर २०१९
अर्थ
धरती | पृथ्वी | वसुधा | धरा
वाक्य उपयोग
- धरित्री का ऋण चुकाते हुए वीरगति को प्राप्त करने वाले शहीदों का स्मरण करने वाले व्यक्तियों की गणना आज के समय में बहुत कम है ।
- संसार की प्रत्येक वास्तु का निर्माण इस धरित्री की रज से हुआ है ।
काव्यांश
" चल रहा महाभारत का युद्ध,
जल रहा धरित्री का सुहाग,
फट कुरुक्षेत्र में खेल रही,
नर के भीतर की कुटिल आग । "
(रामधारी सिंह 'दिनकर ' जी की कविता 'मनुष्य और सर्प ' के अंश )
७ दिसंबर २०१९
अर्थ
थोड़ा | क्षणिक| अल्प | नगण्य
वाक्य उपयोग
- एक आदर्शवादी व्यक्ति पर सांसारिक समस्याएँ किंचित प्रभाव भी नहीं डाल पाती हैं ।
- भारत के अधिकतर परिवार किंचित संसाधनों व सुविधाओं के बीच अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।
काव्यांश
"क्या हार में , क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं ,
संघर्ष पथ पर जो मिले,
यह भी सही, वो भी सही,
यह भी सही, वो भी सही। "
किंचित नहीं भयभीत मैं ,
संघर्ष पथ पर जो मिले,
यह भी सही, वो भी सही,
यह भी सही, वो भी सही। "
(शिव मंगल सुमन जी की कविता वरदान नहीं माँगूंगा के अंश )
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