युवाओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान


स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर पूरे राष्ट्र में बड़े ही हर्षोल्लास से युवा दिवस मनाया जाता है । एक लघु जीवन यापन के उपरांत भी स्वामी जी आज हमारे , आपके , हम सबके आदर्श बने हुए हैं । ऐसी महनीय छवि वाले व्यक्ति को मेरा सादर प्रणाम ।

वर्तमानकाल में सामाजिक रचना युवाओं को प्राथमिकता देकर ही कि जाती है । आज भारत में ६५ फीसदी जनसँख्या कि उम्र ३५ वर्ष या उससे कम है । यह तथ्य इस कथन को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि भारत एक युवा देश है ।

युवाओं के लिए भारत में मौकों कि कमी नहीं है । आज भी भारत में आवश्यक पदों पर नियुक्ति युवाओं की ही होती है । इतनी पक्षधर प्रणाली होने के उपरान्त भी अधिकतर पद रिक्त रह जाते हैं ।  इसका कारण क्या हो सकता है ? 

इसका कारण है कुशल कर्मी न मिल पाना । हम गिनती में भले ही असंख्य हों पर जब बात कुशलता कि आती है तब हम नगण्य रह जाते हैं । चाहे आप किसी भी क्षेत्र में चले जायें , अधिकतर युवा आपको आवश्यक मूलभूत जानकारी से भी अछूते मिलेंगे। यह तो हो गयी समस्या, अब इसके निवारण से मैं आप सभी को परिचित कराता हूँ ।

विवेकानंद जी ने कहा था "उठो, जागो , चले और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य कि प्राप्ति न हो जाये "
आज भारत का युवा वर्ग भी एक ऐसी ही भ्रामक नींद सो रहा है जहाँ उसे लगता है कि जब वक़्त आएगा तब सब हो जाएगा । ऐसी ही नींद से हमें जागना होगा और अपना सर्वस्व लुटा कर राष्ट्रनिर्माण में लग जाना होगा । और यकीन मानिये अगर भारत का शत प्रतिशत युवा ऐसा करने में सफल रहा तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता ।

इसलिए मेरा अपने प्रिय पाठकों से अनुरोध है कि वे आत्ममंथन करें और खोजें कि समस्या कहाँ आ रही है और फिर उसका निवारण करें । तभी सही मायने में आप स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को धरातल पर क्रियान्य्वित कर पाएंगे ।

"एक युवा ही देश को रचता है ,
एक युवा ही देश का उद्धार करता है ,
अन्धकार में लिप्त रह जाते हैं वे देश ,
जिस देश के युवा का विवेक काम नहीं करता है ।"

मैं आशा करता हूँ कि हमारे भारतवर्ष को ऐसे अन्धकार के प्रकोप से बचने के लिए आप सभी विवेकशील बनकर राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनेंगे । जय हिन्द । जय भारत । वन्दे मातरम ।

* सुयश शुक्ल *



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