एक नयी शुरुआत

"आत्मा के सौंदर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य है ,कवि होना सौभाग्य" अपने बीते कल से परेशान पाठकों से निवेदन है कि वे नयी उमंग व ऊर्जा के साथ एक नयी शुरुआत करें । निम्न पंक्तियों को पढ़कर एक बार फिर अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़ने का सहस पैदा करें । आगे की सुधि लेते हुए, बीते कल को न याद करो, मिला है एक अवसर, फिर से नयी शुरुआत करो। बीते कल की नाकामियों से अब तुम न कमज़ोर बनो , सफलता पाने के लिए सदैव ही उचिततम मार्ग चुनो । वर्ष है नया, ऊर्जा है नयी, सुबुद्धि से तुम कम करो , कामयाबी के शिखर को छूने के लिए, फिर से नयी शुरुआत करो। नए सत्र की चुनौतियों से, कभी भी न निराश हो , संघर्ष करो ऐसा कि, सफल तुम्हारा प्रयास हो, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, एक ऊंची उड़ान भरो , सुनहरे भविष्य की कामना करते हुए , फिर से नयी शुरुआत करो। *सुयश शुक्ल*