Posts

Showing posts from February, 2019

मेरा देह नष्ट हो जाएगा पर शब्द अमर रह जाएँगे....।

Image
जीवन में कभी कभी आवश्यकता से अधिक चिंतन मंथन करने के कारण एक कटु स्तिथि आकास्मक ही मेरे सामने आ जाती है । ऐसे समय में अपने व्यक्तित्व की वास्तविक कीमत पता चल जाती है । उसी अनमोल व्याख्या का काव्य रूपांतरण करती एक कविता मेरे प्रिय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। आशा करता हूँ मेरी यह रचना भी आप सभी को पसंद आये । मेरा देह नष्ट हो जाएगा, पर शब्द अम्र रह जाएँगे । जब गंतव्य से परिचय होगा, और सब रिश्ते छूट जाएँगे, मेरा देह नष्ट हो जाएगा, पर शब्द अमर रह जाएँगे। जीवन की अंतिम ज्योत में, शुभचिंतकों की फ़ौज में, जो लपट उठेगी वो गरजेगी, मेरे कंठ के कौशल का वे अब  पर्याय न खोज पाएंगे । मेरा देह नष्ट हो जाएगा, पर शब्द अम्र रह जाएँगे । गम और शोक की फुहार में, एक व्यक्ति विशेष के इंतज़ार में , जो भाव उठेगा वो बोलेगा कि, ऐसे परमार्थी जीव को वे अब , साक्षात् न देख पाएंगे  । मेरा देह नष्ट हो जाएगा, पर शब्द अम्र रह जाएँगे । अश्कों के अनंत सागर में, उन नम आँखों के पानी में, हर आँसू टप-टप बरसेगा, ऐसी वैचरिक शीतलता का वे अब, अनुभ...

प्रेम और मान

Image
मैं अपने जीवन में प्रेम और मैत्री के बीच फंसे एक सम्बन्ध को निभाने में इस प्रकार समर्पित हो गया था की अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करने की दिशा में बढ़ चला था । वास्तविकता से परिचित होने के बाद अपने अनुभवों से सुसज्जित यह कविता आप सभी के सामने प्रस्तुत है । आशा करता हूँ कि मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये । जीवन के भंवर में, अहसासों के समर में , मिलते हैं लोग, मिलता है मान , होता है प्रेम , बढ़ता है सम्मान। रहता है समर्पण, करके तन मन अर्पण , पर मिलती है व्यथा , जब दिखता है दर्पण । लगती है चोट, बढ़ता है विराग, ढलता है जीवन जैसे , बिन बाती का चिराग। हम एक भ्रम के शिकार थे , उनके लिए ही विकार थे , अचानक अजनबी से हो गए, जिनको पहले हम स्वीकार थे । हम करते थे प्रयत्न, और करेंगे प्रयास, संजोयेंगे इस रिश्ते को, जब तक है आस। सर्वस्व को त्यागेंगे, परिस्थिति से न भागेंगे, जब तक समाज में सम्मान है, इस व्यक्तित्व पर अभिमान है, तब तक इस रूआसी  रात में भी, हँसते-हँसते जागेंगे । जब परिचय हुआ एक सत्य से, इस जीवन के एक तथ...

Popular posts from this blog

युवाओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान

कुछ शब्द मेरे उन जन मन को .....।

एक पीर उठी जब नभ से तब...