मृत्यु

मृत्यु : जीवन का एक कटु सत्य जिससे आज नहीं तो कल संसार के हार व्यक्ति को परिचित होना पड़ता है । जीवन में में एक व्यक्ति जो कुछ भी अर्जित करता है उसे जब यहीं छोड़ कर जाना पड़ता है और उसके उपरान्त उसे अपने कर्मानुसार मरणोपरांत फल नसीब होता है । ऐसे सांसारिक सुख के लोभ व आकर्षण में अनेकों व्यक्ति कुक्रियाओं में लिप्त हो जाते हैं और जीवन में सुकृति का मार्ग त्याग कर तताकथित सामाजिक ताने बाने में अपने आप को सुसज्जित करने के प्रयास में लग जाते हैं मैं अपनी इस रचना के माध्यम से उस वर्ग को जीवन का मेरे विचार में जो अर्थ और उद्देश्य होता है उसे समझाने का प्रयत्न करने जा रहा हूँ । आशा करता हूँ की मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये। मृत्यु चर्चित फिर भी अपरिचित जीवन की सांझ शरीर का अंत सुकृति रहती संसार के संग । रिश्तों का बिलखना कुछ क्षण की बात जीवन के ज्वलंत दिन की आयी अनंत रात । मित्रों की याद वर्षों का साथ पलक झपकते ही हो जाता है सबकुछ बर्बाद । संसार के इस समर में मौत निश्चित होती है और उसूलों पर चलने वालों के जाने पर ही धर...