प्रेम का संचार!

प्रेम का संचार अपनी हर कविता में मैं अपने प्रिय पाठकों को कविता की पृष्ठभूमि से परिचित कराता हूँ लेकिन इस कविता में इसकी आवश्यकता मुझे नहीं महसूस हुई क्योंकि मेरे विचार में ऐसी पवित्र भावनाओं का व्याख्यान करने के लिए सिर्फ शब्द ही काफी हैं । आशा करता हूँ मेरी यह रचना आप सभी को पसंद आये। ठोकरों से संभल कर, यौवन के पहर पर, प्रेम की एक आस जगी, और जीवन में कुछ रफ़्तार लगी, यह एक खुशनुमा सा विचार है, हाँ , यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है । दीदार सुख कि अनुभूति है, संवाद दर्द की बूटी है, उनका न रहना रिक्तता का अहसास है, कुछ तो कमी थी वहां भी जहाँ सारा संसार मेरे पास है, मासूमियत भरा उनका व्यवहार है, हाँ , यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है । सारे जग की कलम-कला से, नदियों से सिंचित स्याही से, धरा-धूरी का पृष्ठ बनाकर, लिखने को सारा संसार बुलाकर, तब भी उसका गुणगान नहीं कर पाओगे, जिसकी व्याख्या इतनी अपार है, हाँ, यह प्रेम का संचार है, यह प्रेम का संचार है । अभी प्रेम हमारा अधूरा है , सिर्फ एक...